कबीरधाम विशेष

धमाका न्यूज़✍️युक्तिकरण : दूरस्थ और शिक्षकविहीन विद्यालयों को मिले नए शिक्षक, अब बच्चों को मिलेगी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा

युक्तियुक्तकरण से लगभग 90 प्रतिशत बच्चों को तीन बार प्रवेश प्रक्रिया से मिलेगी मुक्ति

कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा ने आज प्रेसवार्ता लेकर शालाओं और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के संबंध में दी जानकारी

कबीरधाम जिले का कोई भी विद्यालय नहीं रहेगा शिक्षक विहीन

कवर्धा 05 जून 2025। छत्तीसगढ़ सरकार की शिक्षा सुधार नीति और शिक्षक युक्तियुक्तकरण के निर्देशों को प्राथमिकता देते हुए कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा के मार्गदर्शन में जिले में अतिशेष शिक्षकों की काउंसिलिंग प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूर्ण कर ली है। इस पहल से अब जिले के दूरस्थ, शिक्षकविहीन और एकल शिक्षकीय विद्यालयों को नए शिक्षक मिल गए हैं, जिससे विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण और सुलभ शिक्षा का अवसर प्राप्त होगा। शासन की इस दूरदर्शी नीति से जिले में शिक्षा की तस्वीर बदलने जा रही है।
कलेक्टर  गोपाल वर्मा ने आज प्रेसवार्ता लेकर शालाओं और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और समावेशी बनाने के लिए शालाओं और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। नगरीय इलाकों में छात्रों की तुलना अधिक शिक्षक पदस्थ हैं, जबकि ग्रामीण और दूरस्थ अंचलों की शालाओं में स्थिति इसके विपरीत है। वहां शिक्षकों की कमी है, जिसके चलते शैक्षिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं और छात्र-छात्राओं का परीक्षा परिणाम भी प्रभावित हो रहा है। इस स्थिति को सुधारने के उद्देश्य ही प्रदेश सरकार द्वारा युक्तियुक्तकरण का कदम उठाया गया है। इससे जिन शालाओं में शिक्षक की जरूरत है, वहां शिक्षक उपलब्ध होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में गणित, रसायन, भौतिकी और जीव विज्ञान जैसे विषयों के विषय-विशेषज्ञ उपलब्ध होंगे। बच्चों को अच्छी शिक्षा, बेहतर शैक्षणिक वातावरण और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। कुल मिलाकर युक्तियुक्तकरण के माध्यम से छात्र-शिक्षक अनुपात स्कूलों में संतुलित हो, यह सुनिश्चित किया जा रहा है।
कलेक्टर  गोपाल वर्मा ने बताया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप शिक्षकों और शालाओं का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। छ.ग. में प्राथमिक स्तर पर छात्र-शिक्षक अनुपात 21.84 बच्चे प्रति शिक्षक एवं पूर्व माध्यमिक शालाओं में 26.2 बच्चे प्रति शिक्षक हैं, जो राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। राज्य में 212 प्राथमिक शालाएं शिक्षकविहीन एवं 6,872 शालाएं एकल शिक्षकीय हैं। कबीरधाम जिले में 02 प्राथमिक शालाएं शिक्षकविहीन एवं 111 प्राथमिक शालाएं एकल शिक्षकीय तथा 07 पूर्व माध्यमिक शाला और 05 हाईस्कूल एकल शिक्षकीय हैं। राज्य में 48 पूर्व माध्यमिक शालाएं शिक्षकविहीन और 255 एकल शिक्षकीय हैं। हमारे जिले में कोई भी पूर्व माध्यमिक शाला शिक्षक विहीन नहीं है और 07 शालाएं एकल शिक्षकीय हैं। युक्तियुक्तकरण से इन स्कूलों में शिक्षकों की व्यवस्था की गई है। राज्य के प्राथमिक स्कूलों में 7,296 शिक्षक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में 5,536 शिक्षकों की आवश्यकता है। हमारे जिले में प्राथमिक स्कूलों में 432 शिक्षक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में 457 शिक्षकों की आवश्यकता है। राज्य के प्राथमिक शालाओं में 3,608 एवं पूर्व माध्यमिक शालाओं में 1,762 शिक्षक ही अतिशेष हैं। हमारे जिले में प्राथमिक शालाओं में 202 एवं पूर्व माध्यमिक शालाओं में 31 शिक्षक और हाई/हायर सेकेंडरी स्कूल में 43 व्याख्याता अतिशेष हैं। युक्तियुक्तकरण से शिक्षक विहीन विद्यालयों में शिक्षकों की उपलब्धता के साथ ही एक ही परिसर में विद्यालय होने से आधारभूत संरचना मजबूत होगी और स्थापना व्यय में भी कमी आएगी। यह युक्तियुक्तकरण कोई कटौती नहीं, बल्कि गुणवत्ता और समानता की दिशा में बड़ा कदम है। जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग मिलकर यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी विद्यार्थी की पढ़ाई प्रभावित न हो। पूरे राज्य में मात्र 241 स्कूलों का समायोजन किया जा रहा है। हमारे जिले में 02 प्राथमिक शालाओं का समायोजन किया गया है।
कलेक्टर श्री वर्मा ने बताया कि राज्य के कुल 10,538 स्कूलों में से 10,297 स्कूल यथावत संचालित रहेंगे, जबकि कबीरधाम जिले में 1609 स्कूलों में से 1607 स्कूल यथावत संचालित होंगे। सिर्फ उन्हीं स्कूलों का समायोजन किया जा रहा है, जिनमें छात्रों की संख्या बहुत कम है और पास में बेहतर विकल्प मौजूद हैं। एक ही परिसर में स्थित विद्यालयों को समाहित कर क्लस्टर मॉडल विकसित किया जा रहा है। अतिरिक्त शिक्षकों का पुनः समायोजन कर एकल शिक्षकीय और शिक्षक विहीन विद्यालयों में पदस्थापना की जा रही है। युक्तियुक्तकरण से लगभग 90 प्रतिशत बच्चों को तीन बार प्रवेश प्रक्रिया से मुक्ति मिलेगी और बच्चों की पढ़ाई में गुणवत्ता के साथ ही निरंतरता भी बनी रहेगी। बच्चों के ड्रॉपआउट दर में कमी आएगी। अच्छी बिल्डिंग, लैब, लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं एक ही जगह देना आसान होगा।

Nikhil Soni

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