धमाका न्यूज़💥 गरीबों के राशन पर अमीर और संपन्न लोगों का डाका, राशन उठाकर बेचते हैं या संचालक से नगद रकम प्राप्त करते हैं, इनका अपडेट होना चाहिए

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प्रदेश के सोसायटियों में चावल लेने वालों की लाइनों या भीड़ में गरीब कम अमीर और सर्व सुविधा संपन्न लोग ज्यादातर नजर आएंगे। जी हां मैं आपको बता दूं कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों में गरीब कम और सर्व सुविधा संपन्न लोग और पोट्ठ लोगों ने डाका डाल दिया है जिसकी वजह से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के गरीबी रेखा वाले चावल, गेहूं, चना और मिट्टीतेल इन्हीं डकैतों के पेट में जा रहे हैं। और तो और यह संपन्न कथित गरीब लोग मुफ्त के राशन के एवज में नगद रकम उठाते हैं या उठाकर कहीं अन्यत्र ज्यादा रेट पर बेच देते हैं।
बता दें सरकारी आकंड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में हाल की स्थिति में करीब 13 हजार 655 राशन दुकानों का संचालन सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से होता है ,जिसके तहत लोगों को चावल, चना और नमक आदि का वितरण किया जाता है। किंतु शासन की इस महती योजना में गरीब, बेबस और लाचार लोग कम सुविधा संपन्न लोगों का डेरा लगा रहता है जो राशन को उठाकर सीधे बेच देते है, अर्थात4 सरकार इन डकैतों को मुफ्त में आर्थिक लाभ पहुंचा रही है जो बंद होना चाहिए।
धमाका न्यूज़ की पड़ताल से यह बात सामने आई कि सोसायटिओं में व्याप्त भीड़ में गरीब कम और सुविधा संपन्न लोग ही चावल लेने आते हैं, ये एक ही परिवार के अनेक राशन कार्डधारी चावल के बदले में या तो पैसे नगद लेते हैं या चावल को उठाकर किसी दुकानदार के पास बेच देते हैं। हैरत की बात यह कि बरसों से ये संपन्न डकैत गरीबी रेखा कार्ड अपने पार्षद या करीबी नेताओं या अफसरों से सांठ गांठ के जरिए बनवाकर गरीबों के राशन पर डाका डाल रहे हैं जबकि आज भी वाजिब हकदार गरीबी कार्ड से अछूते हैं। क्या अमीर और क्या मध्यमवर्गीय सभी लोगों ने गरीबी रेखा का कार्ड बना रखा है जो चावल, गेहूं और चना, मिट्टीतेल के बदले नगद पैसे लेते हैं या चावल उठा कर बेच देते हैं शासन और सरकार को इस विषय पर ध्यान देना चाहिए और गरीबी रेखा कार्ड और इनमें निहित लोगों को अपडेट करना चाहिए कि क्या कोई गरीब दशकों से गरीबी स्थिति में आज भी जी रहे हैं? क्या यह इसी कंडीशन में जीते रहेंगे? क्या इतने बरस बाद भी इनका विकास नहीं हो पाया है?