
वरिष्ठ पत्रकार निखिल सोनी की कलम से।
कवर्धा। छत्तीसगढ़ प्रदेश के 45% भूभाग वनों से आच्छादित है किंतु वन्य जीवों की संख्या में इजाफा के बजाय निरंतर कमी चिंता का कारण बना हुआ है जिसका मुख्य कारण वन्यजीवों के रहवास का इंसानों द्वारा नष्ट किया जाना तथा अवैध अतिक्रमण कर बसाहट कर लेना है। शिकार से कहीं ज्यादा वन्य प्राणियों की मौत सड़क हादसों और भोजन की कमी से हो रही है जो विभागीय खामियों को उजागर करता है, यही कारण है कि जो वन्य प्राणी अभ्यारण एवं नेशनल पार्क के सुरक्षित एवं संरक्षित क्षेत्रों तक ही सिमटकर रह गए हैं यही वजह है कि इन क्षेत्रों में वन्य प्राणियों की संख्या में निरंतर बढ़ोत्तरी देखा जा रहा है।
बता दें कि संरक्षित क्षेत्रों में वन्य प्राणियों की संख्या में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ शासन वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग मंत्रालय के द्वारा प्रदेश के प्रसिद्ध अभयारण्य भोरमदेव, बारनवापारा एवं गोमर्दा के प्रशासकीय नियंत्रण को वन्य प्राणी प्रभाग को सुपुर्द करने की घोषणा की है, इस अभूतपूर्व एवं उल्लेखनीय कार्य में वन मंत्री मोहम्मद अकबर का निर्णय स्वागत एवं उल्लेखनीय है। निसंदेह इस अभुतपूर्व और ऐतिहासिक फैसले से भोरमदेव अभ्यारण सहित बारनावापारा एवं गोमर्डा के अभ्यारण में वन्यजीव संरक्षित एवम संवर्धित होंगे।
खास बात यह कि छत्तीसगढ़ शासन ने अपने पत्र क्रमांक 08_4/ 2012/ 10 डेज 2 (पार्ट) रायपुर दिनांक 24.8.2023 के द्वारा भोरमदेव सहित बारनवापारा एवं गोमर्दा अभ्यारण को जंगल सफारी रायपुर के अधीन तथा गोमर्दा अभ्यारण को अचानकमार बायोस्फीयर रिजर्व में शामिल करने की घोषणा किया गया है। पूर्व में प्रदेश के कुल 8 अभ्यारण वन्य प्राणी प्रभाव से संबंध है तथा वर्तमान में तीन प्रसिद्ध भोरमदेव, बारनवापारा और गोमर्दा अभ्यारण के जुड़ जाने से इंसानों और वन्यजीवों का द्वंद तो कम होगा ही साथ ही पर्यटकों को भ्रमण हेतु जरूरी सुविधाओं का सरलता से उपलब्ध होना सुनिश्चित होगा। इस सराहनीय और प्रशंसनीय फैसले से वन एवं वन्य जीवों के संरक्षण एवं संवर्धन में काफी इजाफा होगा जिसके लिए वन मंत्री मोहम्मद अकबर बधाई के पात्र हैं।