कवर्धा। जनपद पंचायत कवर्धा में बुधवार को सामान्य सभा की बैठक आयोजित की गई जिसमें जनपद क्षेत्र के गांव, गरीब और किसानो से जुड़े कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई। इस बैठक में जनपद पंचायत कवर्धा के उपाध्यक्ष विरेनद्र साहू ने सीधे किसानो से जुड़े वर्मी कम्पोस्ट खाद का मुद्दा उठाते हुए प्रदेश की कांग्रेस सरकार को जमकर लपेटे में लिया और सरकार पर सीधे तौर पर किसानो के सिर पर वर्मी कम्पोस्ट खाद का बोझ डालकर उन्हें बेवजह कर्जदार बनाए जाने का गंभीर आरोप लगाया। श्री साहू ने बताया कि बीते महिने शासन, प्रशासन की ओर से जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के समस्त नोडल अधिकारी, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, वरिष्ठ उद्यान अधिकारी तथा समस्त कृषि शाखाओं के शाखा प्रबंधको को एक पत्र जारी कर आगामी खरीफ सीजन 2023 में वर्मी कम्पोस्ट खाद को लेकर निर्देश जारी किए गए है। जिसमें स्पष्ट किया गया है कि सभी सेवा सहकारी समिति के पंजीकृत किसानो को नगदी एवं वस्तु ऋण वितरण के तहत प्रति एकड़ 3 बोरी वर्मी कम्पोस्ट खाद अनिवार्य रूप विक्रय कर उनका परमिट काटा जाए ताकि शासन की मंशा के अनुरूप ज्यादा से ज्यादा वर्मी कम्पोस्ट खाद का उठाव हो सके। श्री साहू ने शासन प्रशासन के इस फरमान को हिटलरशाही करार देते हुए कहा कि यह किसानो के साथ न सिर्फ अन्याय है बल्कि जबरदस्ती है। उन्होने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार किसानो पर जबरदस्ती घटिया दर्जे की मिलावटी और गुणवत्ता विहीन वर्मी कम्पोस्ट खाद थोप रही है और उन्हें कर्जदार बना रही है। जिसकी बाध्यता तत्काल समाप्त होनी चाहिए और किसानो को स्वतंत्र रूप से खाद, बीज का उठाव करने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए।
सरकार बेवजह किसानो को बना रही कर्जदार
श्री साहू ने आरोप लगाते हुए बताया कि जिले की अधिकांश सेवा सहकारी समितियों में वर्मी कम्पोस्ट खाद का टोटा बना हुआ है। लेकिन फिर भी समितियां शासन-प्रशासन के फरमान के तहत पंजीकृ़त किसानो का प्रति एकड़ 3 बोरी और दर प्रति बोरी करीब 300 रूपए के हिसाब से वर्मी कम्पोस्ट खाद का परमिट काट रही है। मतलब साफ है कि किसानो को वर्मी कम्पोस्ट खाद मिले न मिले वह प्रति एकड़ के हिसाब से 900 रूपए का कर्जदार बनाया जा रहा है और अगर किसान का रकबा ज्यादा है तो वह बड़ी राशि का कर्जदाता बन रहा है। जिसकी वसूली देर सबेर सरकार किसानो के हलक में हांथ डालकर कर ही लेगी।
वर्मी कम्पोस्ट खाद के नाम पर किसानो से की जा रही ठगी
जनपद पंचायत कवर्धा की सामान्य सभा की बैठक में जनपद उपाध्यक्ष विरेन्द्र साहू ने वर्मी कम्पोस्ट खाद की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाया। उन्होने कहा कि इस बात की लगातार शिकायतें सामने आ रही है कि जिले में संचालित गौठानो में बनाई जा रही वर्मी कम्पोस्ट खाद में कंकड, पत्थर, मिट्टी मिलाई जा रही है, जो खेती किसानी में अलाभकारी है। लेकिन इन शिकवा शिकायतों के बाद भी शासन प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है और सीधे तौर किसानो को वर्मी कम्पोस्ट खाद के नाम पर ठगी का शिकार बनाया जा रहा है।
किसानो की परम्परा है वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाना
श्री साहू ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकारी ने वर्मी कम्पोस्ट खाद का धंधा घोटाले के लिए शुरू किया है। जबकि छत्तीसगढ़ के किसान पारंपरिक रूप से वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाते और इसका उपयोग करते आ रहे हैं। गांव में आज भी किसान घुरूवा का उपयोग इसी कार्य के लिए करते हैं जहां मवेशियों का गोबर नियमित रूप से एक गड्ढे में डाला जाता तथा इस तरह से वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार कर उसका उपयोग खेती किसानी के लिए किया जाता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जो किसान स्वयं अपने घर पर वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार कर रहे हैं वे भला पैसे देकर सरकार से घटिया और मिलावटी वर्मी कम्पोस्ट खाद क्यों खरीदें?
समितियों में वर्मी कम्पोस्ट खाद का टोटा
जनपद पंचायत कवर्धा के उपाध्यक्ष श्री साहू ने कहा कि एक तरफ प्रदेश की कांग्रेस सरकार करोड़ों रूपए की गोबर खरीदी का दावा कर रही है और इसका ऑनलाईन भुगतान दिखा रही है जबकि जमीनी हकीकत ये है कि जिले के अधिकांश समितियों में वर्मी कम्पोस्ट खाद का अकाल पड़ा हुआ है। जिससे साफ जाहिर होता है कि सब फर्जीबाड़ा चल रहा है। अगर वास्तव में जितनी मात्रा में गोबर की खरीदी बताई जा रही है उतनी होती तो शायद समितियों में वर्मी कम्पोस्ट खाद की कमी नहीं होती और स्टॉक भरपूर होता।