निखिलेश सोनी प्रतीक ✍️
कवर्धा। इन दिनों कवर्धा शहर की सबसे बड़ी समस्या यातायात की बनी हुई है, बेलगाम यातायात से जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो चुका है। तीतर बीतर आवाजाही से दुर्घटना की आशंका हमेशा बनी हुई है। शहर में पार्किंग के अभाव की वजह से बैंकों, होटलों व अन्य व्यवसाय के उपभोक्ताओं के ग्राहकों की छोटी बड़ी वाहने सड़क पर बेतरतीब तरीके से पार्क होने से आवाजाही की विकट समस्या रोज बनी हुई है, जो सड़क को जाम कर रही है। शहर में कहीं पर भी सुगम यातायात नजर नहीं आ रहा है। सड़कों के दोनों तरफ दुकानदारों के बलात तम्बू तथा रेहड़ियों के कब्जे से सड़क सिमट सा गया है।
नगर पालिका तथा यातायात विभाग की शिथिलता की वजह से शहर की आवाजही की समस्या जी का जंजाल बन चुका है। शहर में कही पर भी सुगम यातायात का कोई हल नहीं है, लोग कहीं भी चल और फिर रहे हैं, सड़कों पर जाम की स्थिति से पूरा शहर परेशान है। शहर से यातायात विभाग पूरी तरह से लापता हो गया है। दर्रीपारा मार्ग, ठाकुर देव चौक, ऋषभदेव चौक, सिग्नल चौक, भारत माता चौक, एकता चौक, नवीन बाजार चौक, लोहारा नाका अव्यवस्थित दुकानदारों के कब्जे से सिमट सा गया है, ऊपर से यातायात का भारी दबाव से शहर की हालत बद से बढ़कर हो चुकी है, कहीं पर भी यातायात के जवान नजर नहीं आते, कहीं खड़े भी हैं तो मोबाइल पर व्यस्त ही मिलेंगे। 25 साल से एकमात्र सिग्नल चौक शहर की तरक्की को बयां करता है।
बहरहाल जिला मुख्यालय कवर्धा की खस्ता यातायात व्यवस्था से समग्र शहरवासी खासे परेशान है जिनका स्थाई हल दूर दूर तक नजर नहीं आता और ना ही विभाग के पास कोई मुकम्मल कार्य योजना है.