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धमाका न्यूज 💥किडनी के मरीजों के लिए जीवनदायिनी बनी जिला अस्पताल में डायलिसिस की सुविधा, कलेक्टर श्री महोबे ने कहा “अब किडनी की समस्याओं से ग्रसित लोगों को भटकना न पड़े”

कवर्धा। किडनी सम्बन्धी समस्या से पीड़ित लोगों को डायलिसिस में रहने की स्थिति के चलते सप्ताह भर में 8 से 10 हजार का यानी माह भर में 32 से 40 हजार रुपये खर्च होना ऊपर से दवाओं का खर्च अलग। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि एक आम आदमी के लिए यह खर्च वहन करना कितना कठिन होगा। लेकिन अब किडनी सम्बन्धी समस्या से पीड़ित डायलिसिस लेने वाले मरीजों के लिए राज्य शासन ने जिला अस्पतालों में सेंटर खोल दिया है। कबीरधाम जिला अस्पताल में भी गत 16 सितंबर से यह सेवा आरम्भ कर दी गई है और अब तक 100 मरीजों को इसका लाभ मिलना शुरू हो चुका है।

शासन द्वारा जनता के मूलभूत सेवाओं जैसे शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सराहनीय कार्य किये जा रहे हैं। एक ओर जहां आत्मानंद स्कूल से बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल रही है वहीं दूसरी ओर सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः की तर्ज पर स्वास्थ्य सेवाओं में उत्तरोत्तर बढ़ोतरी देखी जा सकती है। स्टाफ की भर्ती हो या मेडिकल सुविधाओं में वृद्धि; शासन की ओर से अनेक प्रयास जारी है। इसी कड़ी में जिला अस्‍पतालों में डायलिसिस की सुविधा उपलब्‍ध करवाना भी एक सराहनीय कदम माना जा रहा है।
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर खुले जिला अस्पताल परिसर में स्थित डायलिसिस यूनिट में 4 मशीनें उपलब्ध है। मरीजों को पंजीयन के आधार पर डायलिसिस कराने के लिए बुलाया जाता है, अब जिले की जनता को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बाहर भटकना नही पड़ रहा है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुजॉय मुखर्जी ने बताया कि प्रतिदिन इस सेंटर में औसतन 5 मरीजों की डायलिसिस की जा रही है यह अनवरत बढ़ रहा है, जैसे-जैसे लोगों को इसकी जानकारी हो रही है लोग अन्य निजी अथवा बाहर जिले के अस्पतालों के बजाए यहां आने लगे हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में जिन मरीजों का इलाज चल रहा है उनमें किडनी के सामान्‍य तथा गंभीर रोगी शामिल हैं। पहले चरण में चार मशीनें लगी है, आवश्यकता अनुसार इन मशीनों की संख्या बढाने के लिए मांग रखी जायेगी।

लाभार्थियों ने कहा सरकार जनता के लिए संवेदनशील है, लाखों खर्च हो रहा था अब निःशुल्क मिलने लगी है सेवाएं

ग्राम पटवा की रहने वाली रजनी चन्द्रवंशी ने बताया कि उन्‍हें मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत है। चार साल पहले उन्हें किडनी सम्बन्धी समस्या हुई और चिकित्सकों ने डायलिसिस की सलाह दी, तब से वे हर सप्ताह 8 से 10 हजार खर्च करके निजी अस्पताल में अपना डायलिसिस करवा रही हैं। लेकिन पिछले एक माह से उन्होंने जिला अस्पताल में अपना डायलिसिस करवाना शुरू किया है। इसके लिए वे वह डायलिसिस सेंटर में आई और पंजीकरण कराया तथा निःशुल्‍क सुविधा ले रही हैं। उनकी सप्‍ताह में एक बार डायलिसिस होती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने जीवनदान दिया है, क्योंकि डायलिसिस से मरीज को तन, मन और धन से परेशानी उठानी पड़ती थी। अब आर्थिक बचत के कारण तनाव कम है और उन्हें आशा है कि जल्द उन्हें समस्या से निजात मिल जाएगा। इसी तरह की बातें भोरमदेव के चौरा ग्राम निवासी लाभार्थी ने भी कही। उन्होंने शासन व प्रशासन को इन सेवाओं के लिए धन्यवाद भी दिया। किडनी की समस्या से जूझने के बाद डायलिसिस की स्थिति पीड़ा दायक होती है, उस पर आर्थिक बोझ से तनाव अधिक बढ़ता है, लेकिन अब। स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करके आर्थिक बोझ की मार सरकार ने कम कर दी है।

किसे कहते हैं डायलिसिस

जब दोनों किडनी कार्य नहीं कर रही हों, उस स्थिति में किडनी का कार्य कृत्रिम विधि से करने की पद्धति को डायलिसिस कहते हैं। यह एक प्रक्रिया है जो किडनी की खराबी के कारण शरीर में एकत्रित अपशिष्ट उत्पादों और अतिरिक्त पानी को कृत्रिम रूप से बाहर निकालता है। संपूर्ण किडनी फेल्योर या एण्ड स्टेज किडनी डिजीज या एक्यूट किडनी इंज्यूरी के मरीजों के लिए यह जीवन रक्षक तकनीक है।

जिला कलेक्टर जनमेजय महोबे ने लिया सेंटर के कार्यों का जायजा, मरीजों की बातचीत
आज जिला कलेक्टर जनमेजय महोबे ने जिला अस्पताल स्थित डायलिसिस सेंटर का औचक निरीक्षण किया व कार्यों का जायजा लिया। उन्होंने डायलिसिस के लिए दी जा रही सेवाओं का लाभ लेने वाले मरीजों से बातचीत करके हालचाल पूछा व व्यवस्थाओं के सम्बंध में जानकारियां ली। कलेक्टर श्री महोबे ने निर्देश दिया है कि मरीजों को इस सेवा का सरलता से अनवरत लाभ मिलता रहे यह सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने उपलब्ध संसाधनों व स्टाफ के सम्बंध में भी जानकारी ली।

Nikhil Soni

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