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धमाका न्यूज़✍️ओबीसी आरक्षण खतरे में, जिले – घनश्याम साहू ओबीसी महासभा प्रदेश सचिव

कबीरधाम जिले में जनपद पंचायत अध्यक्ष पद में ओबीसी आरक्षण खत्म होने के बाद अब जिला पंचायत अध्यक्ष पद में भी ओबीसी आरक्षण खत्म हो गया है ।

कबीरधाम जिले में जनपद पंचायत अध्यक्ष पद में ओबीसी आरक्षण खत्म होने के बाद अब जिला पंचायत अध्यक्ष पद में भी ओबीसी आरक्षण खत्म हो गया है ।

कबीरधाम जिले के 4 ब्लाक के कुल 100 जनपद सदस्य पद में से मात्र 13 पद ओबीसी के लिए आरक्षित हुआ है । इन 13 पदों में बोड़ला विकासखंड में 0 सीट तथा पंडरिया विकासखंड में 1 सीट ओबीसी को मिला है बाकी कबर्धा और सहसपुर लोहारा ओबीसी बाहुल्य विकासखंड में 6-6 सीट मिला है। इस तरह 50% से अधिक आबादी वाले ओबीसी समाज को जिले में जनपद सदस्य पद के लिए मात्र 13% आरक्षण मिला है ।
नए आरक्षण सिस्टम से ग्राम पंचायत सरपंच पद में भी ओबीसी को बहुत नुकसान हुआ है जिले के कुल 471 ग्राम पंचायत में से मात्र 65 सरपंच पद ओबीसी के लिए आरक्षित हुआ है जो कि कुल पद का लगभग 13% ही है । ओबीसी वर्ग को सरपंच पद हेतु बोड़ला जनपद में सिर्फ 1 और पंडरिया जनपद में 9 पद मिला है इसी तरह कवर्धा में 27 और सहसपुर लोहारा जनपद में 28 सरपंच पद ओबीसी को मिला है जो कि ओबीसी आबादी के अनुसार बहुत कम है । जिले के कुल 14 जिला पंचायत सदस्य में भी मात्र 2 सीट ही ओबीसी को मिला है जबकि पिछले बार 4 सीट ओबीसी को मिला था ।
इसी तरह
पूर्व मे पंडरिया नगर पंचायत था तो 15 शीट मे 4 ओबीसी को मिला था, पंडरिया नगर पंचायत सें नगर पालिका बन गया है तो 18 शीट हो गया हैँ तो ओबीसी आरक्षण बढ़ने के बजाय औऱ कम हो गया है, 02 सीट ओबीसी आरक्षण हो गया है,
इसी तरह पूरे जिले के 7 नगरीय निकाय के 120 वार्डों में मात्र 23 वार्ड पार्षद ओबीसी आरक्षित हुआ है 50% ओबीसी आबादी वाले इंदौरी नगर पंचायत में ओबीसी आरक्षण शून्य है जो कि ओबीसी समाज के लिए दुःखद है वर्तमान सरकार ओबीसी को छलने का काम कर रही है और
ऊपर बैठे ओबीसी समाज के नेता लोग अपने पद में मस्त है जो ओबीसी के हक़ अधिकार की बात ही नही कर रहें है ना ही ओबीसी को अधिकार दिलाने शासन में बैठे ओबीसी नेता असक्षम नजर आ रहें है ।
अब ओबीसी समाज को अपने हक़ औऱ अधिकार के लिए प्रदेश स्तर पर बड़ा आंदोलन की जरुरत हैँ अगर अब इस बेहद गंभीर स्थिति के बाद भी पिछड़ा वर्ग समाज एक नहीं हुआ,नही जागा, तो पिछड़ते पिछड़ते बहुत ज्यादा पिछड़ जाएँगे।
क़्या यही है जिसकी जितनी संख्या भारी उतनी उसकी हिस्सेदारी
यहां किसी समाज का विरोध नहीं है, बल्कि अपनी पिछड़ा वर्ग के हित की बात हैं अधिकार की बात है।
अपने पिछड़ा वर्ग समाज को आगे आकर अपनी बात रखनी होंगी, तभी पिछड़ा वर्ग का उद्धार हो सकता हैं
जय ओबीसी जय संविधान सारे ओबीसी एक समान, सारे ओबीसी को एकरुपता के साथ काम करना होगा, क्योंकि सभी ओबीसी समाज के अधिकारों का हनन हुआ हैं
ओबीसी जनगणना किया गया है क़्या ओबीसी समाज की जनगणना को सार्वजनिक करेंगी सरकार या मनमानी करेगी
ओबीसी समाज को ठेंगा दिखाने का काम कर रही हैं वर्तमान भाजपा सरकार

बीजेपी सरकार द्वारा आरक्षण संसोधन कर ओबीसी को 50% तक आरक्षण देने का दावा किया था जो वर्तमान में उल्टा दिखाई दे रहा है पहले ओबीसी को जिले में आरक्षण 30% तक मिल रहा था जो अब घटकर 13% हो गया है । यह स्थिति न सिर्फ कबीरधाम जिले मे नही बल्कि प्रदेश के कई जिलों में है जहाँ ओबीसी आरक्षण शून्य की स्थिति है । प्रदेश के 16 जिले के 85 विकासखंड में ओबीसी के लिए जनपद सदस्य का आरक्षण शून्य है तो कुछ में नगण्य है जबकि सभी जिलों में ओबीसी की आबादी 30% से अधिक और राज्य में 50% है । ऐसी स्थिति में आने वाले समय में राज्य में ओबीसी आरक्षण खत्म हो जाएगा ऐसा प्रतीत हो रहा है । बीजेपी सरकार का यह निर्णय राज्य और जिले के 50% से अधिक ओबीसी समाज के राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए घातक साबित होगा ।

Nikhil Soni

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