निखिलेश सोनी प्रतीक की कलम से✍️
देश की एक बड़ी आबादी को राम भी चाहिए और राम के साथ उनके जीवन के मूलभूत जरूरतों पर वाजिब दाम भी चाहिए, बुनियादी जरूरतों पर बढ़ती मंहगाई, रोजगार, का अभाव, शिक्षा, स्वास्थ्य के लिए लोगों में उदासीनता, सियासदारों का बेलगाम भ्रष्टाचार आदि अनेक ज्वलंत मुद्दो पर लोगों को राहत मिलनी चाहिए। राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए धार्मिक उन्माद पर सरकार को कठोर फैसले लेने पर ध्यान देना चाहिए, मूल मुद्दों से ध्यान भटकाना छोड़ जनता के सुलभ, सुगम और सरल जीवन शैली कैसी होनी चाहिए इस पर सरकार को काम करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं कर सकते तो जनता की अदालत में जो फैसला हुआ है और जो भविष्य में होगा उसे स्वीकार करना होगा, न कि अहंकार में महाज्ञानी की तरह जनता को कोसना चाहिए।
जनता सर आंखों पर बैठा सकती है तो पटक भी सकती है, जनता को गुमराह कर सत्ता पर काबिज होने का दुस्साहस का परिणाम पहले भी देखा है और आज भी। धर्म की बिसात पर आखिर कब तक विशाल आबादी को मूर्ख बना सकते हो! वही जनता है जिन्होंने 2014, 2019 में बेहतर सरकार की अपेक्षा के साथ सत्ता सौंपी थी लेकिन राम, राम और राम का नाम को ही इस देश की फितरत समझ आपकी सरकार ने और कुछ उम्दा नहीं किया है और तो और पुरे दस बरस आपकी सरकार ने वाजिब कामों को धता समझ पुरा समय खपा दिया। जनता को बेहतर उम्मीद की प्रत्याशा थी जिसमें सरकार कामयाब नहीं हो पाई और एक बड़ा धड़ा, बड़े सियासती प्रदेश ने नकार दिया।
सत्ता किसी की बपौती नहीं बल्कि जनता की जागीर है और जिसको चाहे सर पर बिठा सकती है, आपके साथ भी ऐसा ही हुआ किंतु आपने जनता तो जनता अन्य किसी विपक्षी दल का भी साथ नहीं लिया। प्रधानमंत्री पद की मान मर्यादा होती है, यह ऐसा पद है जिसे पाने के बाद वह किसी व्यक्ति विशेष, किसी दल का नहीं होता वरन पुरे देश का सम्मान होता है, इसलिए सबको लेकर चलना ही एक अच्छी और निष्पक्ष सरकार का परम ध्येय होता है न कि जुमलेबाजी और सफेद झूठ बोलकर सरकार चलाया जाता है। आलोचना को सहने की ताकत होनी चाहिए न कि आलोचक को नेश्तनाबुत करने की सोच होनी चाहिए।
जनता रूष्ट थी इसलिए कि आपका काम जनता के मूल मुद्दों से भटक गए थे, अटल बिहारी जैसा नेतृत्व इस देश को चाहिए, जिसे पक्ष, विपक्ष और दुश्मन भी स्वीकार कर सके न कि अहंकार में देशवासियों को राजनीतिक चश्मे में देखना। रोजी, रोटी, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य, शांति, सद्भावना, सशक्त भारत की परिकल्पना पर हर सरकार को काम करना होगा वरना ज्यादा मिठास जहर बनते देर नहीं लगता। जनता पर दबाव बनाना उचित नहीं वरन जनता की अपेक्षाओं को ध्यान में रख काम करने की जरूरत है, जो आपकी सरकार ने नजरंदाज कर दिया था परिणाम अल्प बहुमत।