पत्रकार निखिल सोनी की रिपोर्टिंग।
कवर्धा। इस महीने होने वाले विधानसभा चुनाव में कवर्धा विधानसभा में कहीं विकास के मुद्दे के सामने हिंदुत्व का मुद्दा बन जाए। जी हां मैं इसलिए कह रहा हूं कि विगत पांच बरस में मोहम्मद अकबर ने जिस प्रकार काम किए हैं उन कार्यों की कल्पना कोई नहीं कर सकता। विगत 15 बरस के स्थानीय पूर्व मुख्यमंत्री ने भी कभी कल्पना नहीं की थी कि वह अपने गृह ग्राम में ऐसे काम कर सकते हैं, उनके सांसद ने कभी झांक कर नहीं देखा ना ही उनके विधायकों ने कोई यहां काम किया, बहरहाल 5 साल के एक बाहरी प्रत्याशी कवर्धा विधानसभा में विधायक और मंत्री बनकर कवर्धा विधानसभा में खूब काम किया, काम के साथ-साथ लोगों से जुड़कर लोगों के घरों तक पहुंच कर लोगों के रूप से रूबरू होकर उनकी समस्याओं को सुना, गरीब तबकों की मदद की, उनकी समस्याओं का निराकरण भी किया।
वहीं अगर भाजपा प्रत्याशी की बात करें तो भाजपा प्रत्याशी के पास ऐसी कोई जमीन नहीं दिख रही है जिस पर खड़ा होकर वह मोहम्मद अकबर से टकरा सके सिवाय हिंदुत्व के मुद्दे पर लेकिन हिंदुत्व के मुद्दे पर क्या 5 साल का लंबा समय कवर्धावासी भाजपा प्रत्याशी को सौंप देंगे! मेरे ख्याल से बिल्कुल ही नहीं क्योंकि लोगों को विकास से जुड़ना है, शांति, सद्भावना परस्पर सहयोग और सामंजस्य का वातावरण कवर्धा में तय करना है ना ही फसाद का वातावरण। विधानसभा क्षेत्र का एक बड़ा धड़ा, एक बड़े मतदाताओं के वर्ग जो खामोश बैठा है और जो शहर से लेकर गांव में शांति का वातावरण चाहता है क्योंकि यहां सभी को एक साथ रहना है, सबको शांति और अमानत चैन स्थापित करना है।
बहरहाल भाजपा हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनाव लड़ना चाहती है और फतह पाना चाहती है, वही कांग्रेस विकास कार्यों और लोगों के बीच जुड़कर विधानसभा चुनाव जीतना चाहती हैं बहरहाल दोनों में टकराहट तो दिख रही है वही लोहारा नरेश खड्गराज सिंह आम आदमी पार्टी के सशक्त और लोकप्रिय प्रत्याशी के रूप में खड़े हैं उनका भी विधानसभा इलाके में काफी अच्छी पकड़ और दबदबा सलामत है, जो दिन रात क्षेत्र भ्रमण कर लोगों से जन समर्थन मांग रहे हैं, लोग भी राजा को भरपूर सहयोग, समर्थन दे रहे हैं। इसलिए यह कहना उचित नहीं होगा कि इस त्रिकोणी संघर्ष में किसी प्रत्याशी की फतह आसान नहीं होगी।